अलसी – एक चमत्कारी आयुवर्धक, आरोग्यवर्धक दैविक भोजन

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अलसी शरीर को स्वस्थ रखती है व आयु बढ़ाती है।

अलसी में 23प्रतिशत ओमेगा-3 फेटी एसिड, 20 प्रतिशत प्रोटीन, 27 प्रतिशत फाइबर, लिगनेन, विटामिन बी ग्रुप, सेलेनियम, पोटेशियम, मेगनीशियम, जिंक आदि होते हैं।

सम्पूर्ण विश्व ने अलसी को सुपर स्टार फूड के रूप में स्वीकार कर लिया है और इसे आहार का अंग बना लिया है, लेकिन हमारे देश की स्थिति बिलकुल विपरीत है, पुराने लोग अलसी का नाम भूल चुके है और युवाओं ने अलसी का नाम सुना ही नहीं है। मैंने इसी चमत्कारी भोजन की पूरे भारत में जागरूकता लाने के  काम  का बीड़ा उठाया है।

अलसी को अतसी, उमा, क्षुमा, पार्वती, नीलपुष्पी, तीसी आदि नामों से भी पुकारा जाता है। अलसी दुर्गा का पांचवा स्वरूप है। प्राचीनकाल में नवरात्री के पांचवे दिन स्कंदमाता यानी अलसी की पूजा की जाती थी और इसे प्रसाद के रूप में खाया जाता था। जिससे वात, पित्त और कफ तीनों रोग दूर होते थे और जीते जी मोक्ष की प्राप्ति हो जाती थी। आज मैं अलसी के मुख्य बिन्दुओं पर संक्षेप में चर्चा करता हूँ।

o   ओमेगा-थ्री हमे रोगों से करता है फ्री। शुद्ध, शाकाहारी, सात्विक, निरापद और आवश्यक ओमेगा-थ्री का खजाना है अलसी। ओमेगा-3 हमारे शरीर की सारी कोशिकाओं, उनके न्युक्लियस, माइटोकोन्ड्रिया  आदि संरचनाओं के बाहरी खोल या झिल्लियों का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। यही इन झिल्लियों को वांछित तरलता, कोमलता और पारगम्यता प्रदान करता है। ओमेगा-3 का अभाव होने पर शरीर में जब हमारे शरीर में ओमेगा-3 की कमी हो जाती है तो ये भित्तियां मुलायम व लचीले ओमेगा-3 के स्थान पर कठोर व कुरुप ओमेगा-6 फैट या ट्रांस फैट से बनती है, ओमेगा-3 और ओमेगा-6 का संतुलन बिगड़ जाता है, प्रदाहकारी प्रोस्टाग्लेंडिन्स बनने लगते हैं, हमारी कोशिकाएं इन्फ्लेम हो जाती हैं, सुलगने लगती हैं और यहीं से  ब्लडप्रेशर, डायबिटीज, मोटापा, डिप्रेशन, आर्थ्राइटिस और कैंसर आदि रोगों की शुरूवात हो जाती है।

o   कब्जासुर का वध करती है अलसी। आयुर्वेद के अनुसार हर रोग की जड़ पेट है और पेट साफ रखने में यह इसबगोल से भी ज्यादा प्रभावशाली है। आई.बी.एस., अल्सरेटिव कोलाइटिस, अपच, बवासीर, मस्से आदि का भी उपचार करती है अलसी।

o   डायन डायबिटीज का सीना छलनी-छलनी करने में सक्षम है अलसी-47 बन्दूक। अलसी शर्करा ही नियंत्रित नहीं रखती, बल्कि मधुमेह के दुष्प्रभावों से सुरक्षा और उपचार भी करती है। अलसी में रेशे भरपूर 27%  पर शर्करा 1.8% यानी नगण्य होती है।इसलिए यह शून्य-शर्करा आहार कहलाती है और मधुमेह के लिए आदर्श आहार है। अलसी बी.एम.आर. बढ़ाती है, खाने की ललक कम करती है, चर्बी कम करती है, शक्ति व स्टेमिना बढ़ाती है, आलस्य दूर करती है  और वजन कम करने में सहायता करती है। चूँकि ओमेगा-3 और प्रोटीन मांस-पेशियों का विकास करते हैं अतः बॉडी बिल्डिंग के लिये भी नम्बर वन सप्लीमेन्ट है अलसी।

o   हृदयरोग जरासंध है तो अलसी भीमसेन है। अलसी कॉलेस्ट्रॉल, ब्लड प्रेशर और हृदयगति को सही रखती है। रक्त को पतला बनाये रखती है अलसी। रक्तवाहिकाओं को स्वीपर की तरह साफ करती रहती है अलसी। यानी हार्ट अटेक के कारण पर अटैक करती है अलसी।

o   सुपरस्टार अलसी एक फीलगुड फूड है, क्योंकि अलसी से मन प्रसन्न रहता है, झुंझलाहट या क्रोध नहीं आता है, पॉजिटिव एटिट्यूड बना रहता है और पति पत्नि झगड़ना छोड़कर गार्डन में ड्यूएट गाते नज़र आते हैं। यह आपके तन, मन और आत्मा को शांत और सौम्य कर देती है। अलसी के सेवन से मनुष्य लालच, ईर्ष्या, द्वेश और अहंकार छोड़ देता है। इच्छाशक्ति, धैर्य, विवेकशीलता बढ़ने लगती है, पूर्वाभास जैसी शक्तियाँ विकसित होने लगती हैं। इसीलिए अलसी देवताओं का प्रिय भोजन थी। यह एक प्राकृतिक वातानुकूलित भोजन है।

o   माइन्ड के सरकिट का SIM CARD है अलसी।  यहाँ सिम का मतलब सेरीन या शांति, इमेजिनेशन या कल्पनाशीलता और मेमोरी या स्मरणशक्ति  तथा कार्ड का मतलब कन्सन्ट्रेशन या एकाग्रता, क्रियेटिविटी या सृजनशीलता, अलर्टनेट या सतर्कता,रीडिंग या राईटिंग थिंकिंग एबिलिटी या शैक्षणिक क्षमता  और डिवाइन या दिव्य है। अलसी खाने वाले विद्यार्थी परीक्षाओं में अच्छे नंबर प्राप्त करते हैं और उनकी सफलता के सारे द्वार खुल जाते हैं। आपराधिक प्रवृत्ति से ध्यान हटाकर अच्छे कार्यों में लगाती है अलसी। इसलिये आतंकवाद और नक्सलवाद का भी समाधान है अलसी।

अलसी सेवन से हुआ लाभ

1 )  घाटकोपर, मुम्बई की मंजुला बेन उम्र 75 वर्ष की दो वर्ष पूर्व कमर में दर्द होने के कारण एम.आर.आई. करवाई गई। तब पता चला कि उनके फेफड़ों में भी पानी भर गया है। सम्पूर्ण जांच से पता चला कि उनके फेफड़ों में कैंसर हो गया है। उन्हें रेडियोथैरेपी की 30 डोज दी गई। कीमोथेरेपी लेने से उन्होंने मना कर दिया। लेकिन उन्हें किसी उपचार से कोई फायदा नहीं हुआ। डाक्टर ने उन्हें कहा कि आप मुश्किल से 6 महीने जी पायेंगी। तब किसी ने उन्हें यॉहाना के उपचार के बारे में बताया। उन्होंने यॉहाना का उपचार तुरंत शुरू किया जिसे वे आज तक ले रही हैं। आज वे पूर्णतः स्वस्थ है ।

2 ) मुझे 3 वर्ष से डायबिटीज है तब मेरा ब्लड शुगर F 265- PP 450 था। तब से डॉ. वर्मा साहब के बताये अनुसार अलसी और गेहूँ के आटे की रोटी से लगातार खा रहा हूँ। तीन महीने बाद ब्लड शुगर 108-135 हो गया था। मुझे अब काफी अच्छा महसूस कर रहा हूँ। पहले मेरी कमर में जकड़न रहती थी जो अब ठीक हो गयी है। पहले थोड़ा सा घूमने के बाद ही चक्कर से आते थे, लेकिन अब बिना परेशानी के मैं डेढ़ घंटा रोज घूम रहा हूँ। अब दौड़कर सीढ़ियां चढ़ जाता हूँ।      – रविकान्त प्रसाद नारकोटिक्स,  कोटा।

3 ) मुझे घुटनों में बहुत दर्द रहता था और मैं ज्यादा पैदल नहीं चल पाता था। अलसी के सेवन के दो माह बाद ही मैं एक-डेढ़ कि.मी. चल सकता हूँ।

– डॉ. के.एल.भार्गव पूर्व औषधि नियंत्रक, इन्दौर

4 ) मैं पिछले कई वर्षों से उच्च-कोलेस्ट्रोल से पीड़ित था। अलसी का सेवन करने के बाद यह नार्मल हो गया है।             – मनीष अग्रवाल इन्दौर

5 ) मैं दो महीने से अलसी की रोटी खा रही हूँ। मेरे मुहाँसे ठीक हो गये हैं, शरीर ऊर्जा से भर गया है, काम करने से थकती नहीं हूँ, क्रोध, झुँझलाहट और तनाव दूर हो चुके हैं। पहले घूमने पर पैर दर्द करते थे। अब दर्द गायब हो गया है।                                    – सुमित्रा मीणा कोटा

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